प्रसंगवश
स्वर्ग एतहि अछि
समाधान
प्रतिबिम्ब
महराज
ठेहा परक मौलाएल गाछ
भोरसँ साँझ धरि
स्वप्नलोक
शंखनाद
हम आबि रहल छी
विविध प्रसंग
लजकोटर
मातृभूमि
न्याय की गुहार
ढहैत देबाल
फसाद
संयोग
नमस्तस्यै